Friendship Story In Hindi : Fake Friend (धोकेबाज दोस्त)1

Friendship Story In Hindi

Fake Friend (धोकेबाज दोस्त)1

Friendship Story In Hindi, Fake Friend (धोकेबाज दोस्त)1
Fake Friend (धोकेबाज दोस्त)1

एक सूंदर से जंगल में कई जानवर रहते थे। जिनमे थे दो दोस्त कौआ और हिरन। दोनों ख़ुशी से जंगल में साथ घूमते थे। और मजे करते थे। जो मन मैं आया वो खाते थे। और हमेशा तंदरूश्त और सेहतमंत रहते थे। एक दिन जब दोनों जंगल में घूम रहे थे। तब एक चालाक लोमड़ी की नज़र उस तगड़े हिरन पर पड़ी।

लोमड़ी – अगर मुझे इस हिरन को खाना है, तो कोई न कोई रास्ता निकालना पड़ेगा,  अगर में इससे दोस्ती कर लू, तो में इसे फसा सकता हूँ। हाँ यही करूँगा।

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एक दिन लोमड़ी ने देखा कि हिरन अकेले घास चर् रही थी।

लोमड़ी – हे दोस्त कैसी हो ?

लोमड़ी की आवाज सुनकर हिरन थोड़ा चहक गयी।

लोमड़ी – अरे रुको-रुको दोस्त।

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हिरन – कौन हो तुम ? और मुझे अपनी दोस्त क्यों बुला रहे हो ?

लोमड़ी – क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी ?

हिरन – अनजान लोगों से दोस्ती नहीं करनी चाहिए। माफ़ करना पर में आपकी दोस्त नहीं बन सकती।

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लोमड़ी – में इस जंगल में अकेला हूँ। मेरे सारे दोस्तों ने मुझे छोड़ दिया है, मैं बहुत दुखी रहता हूँ। और जब मैंने तुमको देखा तो खुश हो गया था। अगर तुम मेरी दोस्त बन जाओगी, तो में बहुत खुश हो जाऊंगा।

लोमड़ी को ऐसे दुखी होकर बोलते हुए देखकर हिरन ने लोमड़ी से दोस्ती कर ली। उस दिन से दोनों साथ समय बिताने लगे।

लोमड़ी – मेरी दोस्त क्या तुम अपना घर मुझे दिखाओगी ? में बहुत उत्सुक हूँ।

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हिरन – हाँ मेरे दोस्त चलो  साथ।

कौआ ने दूर से देखा की हिरन और लोमड़ी दोनों साथ चल रहे थे। हिरन लोमड़ी को कौआ के पास ले आयी।

हिरन – मेरे दोस्त ये लोमड़ी मेरा दोस्त है। ये बहुत ही अच्छा है इसका कोई और दोस्त है ही नहीं, और अकेला रहता है। चलो हम इसके दोस्त बन जाते हैं।

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कौआ – दोस्ती ? वो भी एक लोमड़ी के साथ, ये तो गलती ही होगी।  क्या तुम्हे नहीं पता ? अब ये तुम्हारी मर्जी है, कि तुम किस्से दोस्ती करना चाहती हो।

ऐसा कहकर कौआ वहां से उड़ गया, परन्तु हिरन को लोमड़ी पर पूरा भरोषा था। एक दिन लोमड़ी ने हिरन को बोला कि वो उसको एक जगह ले जायेगा, जहाँ पर उसका मन पसंद खाना मिलेगा। अगले दिन लोमड़ी हिरन को एक खेत पर ले गया। हिरन इतना खाना देखकर बहुत खुश हो गयी।

हिरन – मेरे दोस्त अगर तुम नहीं होते, तो मुझे ये खाना कभी मिलता ही नहीं। अब तुम्हारी वजह से मुझे ये सब खाने को मिल रहा है।

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लोमड़ी मन ही मन सोचता है कि हाँ हाँ अब मुझे तुम्हे खाना है तो तुम्हे तो मोटा करना ही पड़ेगा न।

लोमड़ी – हाँ मुझे लगा की तुम्हें ये सब पसंद आएगा। इसीलिए में तुमको यहाँ ले आया।

उस दिन से रोज दोनों को उस खेत में खाने की आदत हो गयी। जल्द ही खेत के मालिक को पता चल गया, कि कोई उसके खेत को ख़राब कर रहा है। और उसको पकड़ना चाहता था। खेत में उसने एक जाल बिछाया। और एक दिन जब लोमड़ी और हिरन दोनों खेत में आये, तब हिरन उस जाल में फस गयी।

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हिरन के फसते ही लोमड़ी वहां से भाग गया। और इंतज़ार कर रहा था कि मालिक आये और  हिरन को मार दे। हिरन मदद के लिए चिल्ला रही थी। और देखा लोमड़ी वहां था ही नहीं। हिरन को कौआ की बातें याद आ गयी। कुछ देर बाद कौआ को हिरन की आवाज सुनाई दी। कौआ को लगा की वो शायद उसकी ही दोस्त थी।  वो जल्दी ही उसके पास गया।

हिरन – दोस्त मेरी मदद करो

कौआ – अगर तुम मेरी बात मानती, तो आज इस समस्या में नहीं होती

हिरन – हाँ मेरी ही गलती है, लेकिन अब कृपया करके मेरी मदद कर दो।

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कौआ – एक काम करो। जब मालिक आएगा तब तुम मरे हुए का नाटक करना। और में तुम्हारे पैर को चुबाते रहूंगा। जल्दी करो मालिक आ रहा है।

हिरन ने मरने का नाटक किया, और कौआ भी  अपनी चोंच से उसके पैर को चुभाते गया।

ये देखकर मालिक को लगा कि हिरन शायद मर गयी, तो तुरंत उसने जाल को खोल दिया। उसी समय मौका देखकर हिरन वहां से भाग निकली। लोमड़ी जो दूर से सब देख रहा था, हिरन के भागने पर निराश हो गया। उसको लगा की वो हिरन के स्वादिष्ट माश को खायेगा पर कौआ ने आकर सब ख़तम कर दिया। हिरन ने फिर कौआ का धन्यवाद किया। दोनों ने फिर से दोस्ती कर ली। कौआ ने फिर वोला, कि उनको अब लोमड़ी को सबक सिखाना पड़ेगा।

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हिरन – हाँ मुझे पता है वो कहाँ रहता है।

कौआ – जैसे लोमड़ी ने तुम्हें फसाया है न उसी तरह तुम भी उसका भरोशा जीतकर उसको फसाओ, किसी भी तरह हम उसको खेत के मालिक से पकड़वाएंगे।

हिरन – बहुत ही अच्छी योजना है मेरे दोस्त।

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हिरन कौआ को लोमड़ी के घर के पास ले गयी।

कौआ – दोस्त में दूर से सब देखता रहूंगा। तुम जाओ लोमड़ी के पास।

हिरन – लोमड़ी तुम मुझसे पहले की तरह बात क्यों  नहीं कर रहे हो, तुम्हें पता है उस दिन में खेत के  मालिक के जाल में फस गयी थी। और भगवान की कृपा से में वहां से भाग निकली।

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लोमड़ी – सच में ? ओह में तो पानी पिने गया था। ये सोचकर की तब तक तुम थोड़ा सा खाना खा लोगी।  मुझे पता ही नहीं था की ये सब हुआ। नहीं तो में तुम्हारी मदद ज़रूर करता। अब जो हुआ सो हुआ, बुरा मत मानो मेरे दोस्त।

लोमड़ी मन में सोचता है इस बार तो हिरन खुद मेरे पास आयी है, अब तो मुझे इसको खाना ही पड़ेगा।

अब रोज की तरह दोनों साथ – साथ समय बिताने लगे। ऐसी दौरान हिरन ने एक खेत का पता लगाया। जहाँ पर उसका मालिक रोज जाल बिछाता था। चालाक हिरन अब लोमड़ी को उस खेत पर ले गयी। जाल से अनजान लोमड़ी अब उस जाल में फस गया।

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लोमड़ी – ओह मेरे दोस्त मुझे बचाओ, में इस जाल में फस  गया हूँ।

हिरन – तुमने उस दिन मेरे साथ यही किया था न।

ऐसा कहकर हिरन और कौआ वहां से चले गए। और दूर से देखते रहे, लोमड़ी को संघर्ष करते हुए। ऐसी दौरान खेत का मालिक उधर आ गया। और देखा कि शायद यही लोमड़ी उसकी फसल को खा रहा था। तो उसको पकड़ ले गया। किसान ने लोमड़ी को एक जगह पर बंद कर दिया। किसान के जाने के बाद हिरन कौआ उसके पास गए।

हिरन – तुमने मुझे धोका दिया है। और अब तुम भुगतो।

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ऐसा कहकर दोनों वहां से चले गए।

सीख – जो जैसा करता है वो वैसा ही भुगतता है। और किसी पर भी जल्दी से भरोशा नहीं करना चाहिए।

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