Horror Story In Hindi : Bhootiya Kahani (भूतिया कहानी)1

Horror Story In Hindi

Bhootiya Kahani (भूतिया कहानी)

Horror Story In Hindi, Bhootiya Kahani (भूतिया कहानी)1
Bhootiya Kahani (भूतिया कहानी)1

जनवरी का महीना था। चार दोस्त विवेक, दीपक, नितिन, और अकाश   टूर पर निकले थे। सबसे पहले वो पहुँचे आगरा फोर्ट। रात काफी हो चुकी थी। कड़ाके की ठण्ड पढ़ रही थी। आगरा फोर्ट में पीछे की और कोई आता जाता नहीं था। वहाँ एक दो लोग तम्बू  लगाकर भी रहते थे। और वहाँ पर घूमने के लिये भी कोई नहीं आता था।

क्यूंकि आगरा फोर्ट बहुत बड़ा है। विवेक अपने दोस्त के साथ वहीं पर बैठा था। ठण्ड काफी हो रही थी। इसलिए उनलोगो ने आग जला ली। पर उन्हें डर था, कि कोई यहाँ आ न जाए, उन्हें Disturb करने के लिए। पर रात के करीब 2 बज रहे थे, इसलिए वहां किसी के आने की कोई सम्भावना नहीं थी। चारों दोस्त आग जलाकर आपस में बातें कर रहे थे।

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नितिन – क्या मस्त जगह है। कभी यहाँ पर राजा महाराजा लोग रहते होंगे। सैकड़ों सैनिक यहाँ पर खड़े रहते होंगे, जहाँ पर हम लोग बैठे हैं। हो सकता है यहीं पर कितने लोग मारे गए हों। पर आज देखो इतना बड़ा किला खाली पड़ा है। अब यहाँ सिर्फ घूमने के लिए लोग आते हैं।

दीपक – अच्छा हुआ हम लोगो ने कोई होटल नहीं लिया। और हम लोग अब आगे कहीं पर भी जाएंगे तो कभी होटल नहीं लेंगे, ऐसे ही रात बिताएंगें। कितना अच्छा माहौल लग रहा है। और इस तरह के डराबने Experiences करने में बहुत मज़ा आता है।

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 विवेक – तो ठीक है हम सब  जहाँ भी जायेंगे ऐसे ही रात बिताएंगे। जो की बहुत डराबनि हो। और उसमे चार चाँद लगाने के लिए हममे से हर बार कोई न  कोई एक Horror कहानी सुनाएगा। लेकिन वो कहानी वनावटी नहीं होनी चाहिए। सच में उसके साथ वो घटना घटी होनी चाहिए। क्यूंकि हर किसी के साथ कभी न कभी डराबनि घटना होती ही है। हेना ?

नितिन – तो ठीक है विवेक प्लान तूने बनाया है तो सबसे पहली कहानी तू ही सुनाएगा। इसके बाद हम सलाह कर लेंगे की फिर कहानी कौन सुनाएगा। ठीक है विवेक ?

विवेक – ठीक है।  तो दिल थाम कर तुम लोग बैठ जाओ। और सुनो दीपक ये कहानी तुझे ज़रूर पता होगी। क्यूंकि तेरे साथ जो हादसा हुआ था, मैं वही कहानी सुनाने वाला हूँ।

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दीपक – अच्छा वो कहानी सुनाने जा रहा है तू, यार उस बारे में मैं सोच लेता हूँ न तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। ठीक है सुना मज़ा आएगा।

विवेक – तो कहानी यहाँ से शुरू होती है की रात के करीब 1 बजे Highway पर में अपनी Scooty पर कहीं जा रहा था। Highway पर दूर-दूर तक कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था। चारों तरफ बस सन्नाटा था। हवाओं की भयानक डराबनि आवाजें मेरे कानो में बार-बार पड़ रही थी। लेकिन मैं Scooty Drive किये जा रहा था। और खुद से ही बोल रहा था, पता नहीं दीपक किस हालात में होगा कबसे दारु लेने गया था, आधी रात हो गयी अभी तक नहीं लौटा। मैंने Scooty और तेज़ कर दी।

कि तभी एक बूढ़ा इन्सान सामने आ जाता है। मैंने ब्रेक लगाए Scooty  रोकी। बाबा का चेहरा बहुत ही भयानक लग रहा था। मैंने तेज़ आवाज में बाबा को बोला। अरे बाबा पूरी सड़क खाली पड़ी है। मेरी गाड़ी के सामने ही आना था आपको, अभी आपको चोट लग जाती तो।

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नितिन – फिर बाबा कुछ बोले या नहीं ?

विवेक – वो बोले पर उनका जवाब मुझे समझ नहीं आया।

बाबा – चोट तो बहुत पहले ही लग चुकी है बेटा।

विवेक – ऐसे चलोगे तो चोट लगेगी ही न।

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बाबा – हाँ हाँ लेकिन मुझे अब कभी चोट नहीं लग सकती बेटा, चाहे मुझपर कोई गाड़ी ही क्यूँ न चढ़ जाये।

विवेक – मैं बाबा की बात सुनकर थोड़ा हैरान हुआ।

अकाश – हैरान तो हम लोग भी हैं।

विवेक – आगे सुनो मैंने बाबा से कहा, ये क्या कर रहे हैं आप ?  इतने में बारिश होने लगी। आसमान में बिजली कड़कने लगी। मैंने सोचा ये अचानक बारिश कैसे होने लगी अभी तो आसमान बिलकुल साफ़ था। फिर बाबा ने कुछ ऐसा बोला, जिसपर यकीन करू या न करू समझ नहीं आ रहा था।

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बाबा – आसमान तो अभी भी बिलकुल साफ़ है बेटा वो ऊपर देखो

विवेक – मैंने अपना चेहरा ऊपर उठा कर देखा तो आसमान बिलकुल साफ़ था। चाँद तारे साफ़-साफ दिखाई दे रहे थे। ये सब देखकर मैं हैरान रह गया था। तभी मैंने बाबा से कहा बाबा ये सब कैसे हो रहा है, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है।

बाबा – चलो वो सामने मेरी कुठिया है, मैं तुम्हें सब बताता हूँ।

विवेक – नहीं बाबा मेरा दोस्त इसी रास्ते से दिन में कहीं गया था। अभी तक वापस नहीं लौटा है। मुझे उसे ढूंढ़ना है।

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बाबा – मुझे पता है तुम्हारा दोस्त कहाँ है, आओ मेरे साथ।

विवेक – बाबा की ये बात सुनकर मैं फिर से हैरान हो गया। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये बाबा जी तो अनजान हैं। उन्हें दीपक के बारे में कैसे पता। खैर मैं बाबा के पीछे-पीछे उनकी कुठिया तक पहुँच गया।

बाबा – आओ बैठो।

विवेक – बाबा अंदर से लालटैन लेकर आये। और उसे जलाया। मैं कुठिया के बहार ही बैठ गया। बाबा भी ठीक मेरे सामने बैठ गए। और मैंने उनसे कहा बाबा अब जल्दी बताओ ये सब क्या है ? कहाँ है मेरा भाई ?

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बाबा – आज से तीन दिन पहले इसी रोड पर एक बहुत ही भयानक एक्सीडेंट हुआ था।

विवेक – हाँ बाबा मैंने सुना है, हुआ तो था एक्सीडेंट। सुना है उसमे दो लोग मरे भी थे।

बाबा – तुमने बिलकुल सही सुना है बेटा वो दोनों बाप बेटे थे। बेटे की आत्मा अभी भी उसी जगह घूमती रहती है।

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विवेक – क्या सच में ?

बाबा – हाँ, और उसकी आत्मा गलत आत्माओं के चक्कर में पड़कर खतरनाक हो गयी है। अब वो उस रास्ते से निकलने वाले की जान ले लेता है।

विवेक – बाबा की ये बात सुनकर मैं डर गया। और मैंने कहा, इसका मतलब मेरा भाई भी ?

बाबा – नहीं, अभी नहीं। अभी तुम्हारा भाई उसकी कैद मैं है।  मारा नहीं है उसको।

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अकाश – पर उस आत्मा ने दीपक को अभी तक मारा नहीं था, ये बात बाबा को कैसे पता थी ?

विवेक – यही सवाल मैंने बाबा से पूछा।  बाबा ये सब आपको कैसे पता है ? मुझे समझ नहीं आ रहा बाबा।

बाबा – सब समझ आ जायेगा, थोड़ा रखो बेटा। और पूरी बात सुनो, ये जो बारिश हो रही है ये कोई आम बारिश नहीं है, उसी आत्मा ने कराई है।

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विवेक – क्या ?   बाबा मेरा दोस्त दीपक बहुत डरपोक है। वो तो डर कर ही मर जायेगा।  Please कुछ कीजिये, जब आप इतना कुछ जानते हैं तो मेरे भाई को बचा भी सकते हो न ?

बाबा – हाँ बचा सकता हूँ। लेकिन उसके लिए तुम्हें उसी जगह जाना होगा, जहाँ एक्सीडेंट हुआ था।

विवेक – आप नहीं चलोगे मेरे साथ बाबा ?

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बाबा – मेरा यहाँ रहना ज़रूरी है। तुम जाओ तुम्हारा दोस्त बच जायेगा। अगर ज़रूरत पड़ी तो मैं तुरन्त आ जाऊंगा।

विवेक – ठीक है बाबा चलता हूँ मैं। मेरे भाई को बचा लेना।

बाबा – फ़िक्र मत करो।

विवेक – मैं वहां से उठा अपनी Scooty Start की और चला गया। जैसे  वहाँ पर मैं पहुँचा अचानक बारिश तेज़ हो गयी हवाएँ तेज हो गयी। भयानक आत्माएं दीपक को घेरे उसे डरा रहीं थी। वो नज़ारा बेहद खौफनाक था। दीपक धीरे-धीरे दवी आवाज में रौ रहा था। मैंने अपने डर को control किया तुरन्त अपनी Scooty से उतरा और आगे बढ़ गया। मैंने दीपक को आवाज लगाई।  दीपक दीपक तुम्हें कुछ नहीं होगा। दीपक ने जैसे ही मुझे  देखा उसके चेहरे पर थोड़ी राहत दिखी।

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दीपक – विवेक बचा मुझे ये आत्माएं मुझे मार डालेंगी।

विवेक – आत्मा हसकर कहने लगी आजा तू भी आजा तुझे भी निपटा देता हूँ। और भयानक तरीके से हसने लगी।  तभी अचानक बारिश रुक गयी, आसमान में बिजली चमकी जिससे की तेज़ रौशनी पैदा हुई। और तभी मैंने देखा की वहाँ पर बाबा आ गए थे। आत्मा ने बाबा से कहा तुम यहाँ से चले जाओ पापा ये दोनों मेरे शिकार हैं।

बाबा – इन दोनों को तुम कुछ नहीं करोगे, ये मैं नहीं होने दूंगा।

विवेक – तभी कुछ ऐसा हुआ जिसपर मुझे यकीन ही नहीं हुआ।

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नितिन – ऐसा क्या हुआ विवेक ?

विवेक – बाबा की आँखों से एक चिंगारी निकली, जिससे वो आत्मा जलकर ख़त्म हो गयी।  वो आत्मा बाबा से जोर जोर से चीख क्र कह रही पापा ये तुमने क्या करा।

मैं ये सोच रहा की बाबा को ये आत्मा पापा क्यों बोल रही है, मैं इस बात से बहुत हैरान हुआ। मैं बहुत हैरानी से बाबा को देख रहा था।

बाबा – हैरान मत हो दो दिन पहले जो एक्सीडेंट हुआ था, मैं और मेरा बेटा ही मरे थे उस एक्सीडेंट में।

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विवेक – इतना बोलकर बाबा धुँआ बनकर आसमान में उड़ गए। तभी दीपक भागकर मेरे पास आ गया।

दीपक – अच्छा हुआ जो तू आ गया।

विवेक – तुझे कुछ नहीं होगा। फिर मैं दीपक को Scooty पर बैठा कर वहां से चला  आया।

अकाश – वाह यार दीपक

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नितिन – वैसे विवेक जब तू Scooty से बाबा से टकराया था न और उन्होंने कहा था की अब मुझे चोट नहीं लग सकती चाहे कोई गाडी ही मुझपर क्यूँ न चढ़ जाये तभी मुझे हल्का-हल्का शक हो गया था बाबा के ऊपर।

तभी अचानक किसी के कदमो की आवाज आने लगती है। चारों दोस्त बिल्कुल चुप हो जाते हैं।

नितिन – लगता है कोई Security Guard आ रहा है।

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जैसे ही कदमो की आवाज उनके पास आकर रुकी। विवेक और दीपक बिल्कुल हैरान  हो गए।

विवेक – बाबा,  बाबा आप यहाँ ? अकाश नितिन ये उन्ही बाबा की आत्मा है।

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नितिन – अबे भागो यहाँ से

नितिन और अकाश डर कर वहाँ से भाग गए। भागते-भागते दोनों फोर्ट से भर आ गए और एक पेड के निचे बैठ गए।

नितिन – भाई क्या सच में भूत था या कोई और मैंने तो ठीक से देखा भी नहीं एकदम वहाँ से भाग आया।

अकाश – हाँ नितिन मैंने भी कुछ देखा नहीं पर मुझे भी बहुत डर लग रहा है। मैं उस फोर्ट के अंदर फिर से नहीं जाने वाला भाई।

तभी विवेक और दीपक धीरे-धीरे चलकर उस फोर्ट से बहार आते हैं।

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दीपक – क्या हुआ फट गयी न।

विवेक – अरे भाई तुम्हारा चेहरा तो देखो सारा रंग उतर गया है। शायद कुछ देर और रुकते तो तुम्हारी पतलूम भी गीली हो जाती।

विवेक और दीपक दोनों हस्ते हुए एक दूसरे को ताली देते हैं।

नितिन – मतलब तुम लोग मजाक कर रहे थे। फिर वो इन्सान कौन था ?

दीपक – हाँ और नहीं तो क्या ऐसी शुमशान  और डरावनी जगह पर बैठे थे, तो सोचा थोड़ी मस्ती की जाये। और वो इन्सान वहाँ का Security Guard था।

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नितिन – और अगर इस मजाक में हमारी जान चली जाती तो।

विवेक – तो क्या फिर तुम भूत बनकर हमे डराने आ जाना।

विवेक और दीपक दोनों खूब हसने लगे।

अकाश – मरने के बाद वैसे भी कोई अपना और पराया नहीं होता भूत बस जान लेना जनता है।

फिर वो चारों दोस्त वहीँ बैठ जाते हैं और दूसरा दोस्त एक नयी कहानी सुनाने लगता है

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